बीबीजे कोलकाता के बारे में

बीबीजे की शुरुआती कहानी तीस के दशक के मध्य में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य कलकत्ता (अब कोलकाता) और हावड़ा के जुड़वां शहरों के बीच लगातार बढ़ते यातायात का समाधान निकालना था, जिसमें हुगली नदी पर उस समय मौजूद पोंटून पुल को एक चौड़े और मजबूत बैलेंस्ड कैंटिलीवर पुल से बदलना था। इसलिए तीन प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थाएँ "ब्रेथवेट, बर्न और जेसप" अपने विशाल अनुभव के साथ एक साथ आईं और 26 जनवरी 1935 को एक नई कंपनी बनाई गयी - द ब्रेथवेट बर्न एंड जेसप कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (बीबीजे)।

हावड़ा ब्रिज या रवींद्र सेतु (1936-1942, 03 फरवरी 1943 को यातायात के लिए खोला गया) के निर्माण के साथ आगे की यात्रा शुरू हुई। दूसरा हुगली ब्रिज (विद्यासागर सेतु) 03 जुलाई 1979 से 10 अक्टूबर 1992 के मध्य बनाया गया था। इस बीच, बीबीजे के रिकॉर्ड में, भारत भर में फैले कई इंजीनियरिंग मील के पत्थर हैं।

कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत निगमित बीबीजे, 13 अगस्त 1987 को भारत भारी उद्योग निगम लिमिटेड (बीबीयूएनएल) की सहायक कंपनी बन गई। भारत सरकार के आदेश से, बीबीजे और बीबीयूएनएल को 10 जुलाई, 2015 से समामेलित कर दिया गया। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, कोलकाता, पश्चिम बंगाल के कार्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र के अनुसार, समामेलित संस्थाओं को "द ब्रेथवेट बर्न एंड जेसप कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड" के रूप में जाना जाता है।

भारत के प्रमुख रेल पुलों में बीबीजे की उपलब्धियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं, जो पूर्व को पश्चिम से और उत्तर को दक्षिण से जोड़ते हैं। 1987 से बीबीजे ने 200 से अधिक रेलवे स्टील पुल बनाए हैं। मोकामा में गंगा पुल, राजमुंदरी में गोदावरी पुल, विजयवाड़ा में कृष्णा पुल, जोगीघोपा और सरायघाट में ब्रह्मपुत्र पुल और मुंगेर में गंगा पुल (सभी रेल सह सड़क पुल) इस कंपनी की कुछ बहुत प्रसिद्ध उपलब्धियाँ हैं।

बीबीजे प्रमुख इस्पात संयंत्रों, ताप विद्युत संयंत्रों, तेल रिफाइनरियों, उर्वरक परियोजनाओं के निर्माण में भी शामिल रहा है। बीबीजे ने क्षतिग्रस्त पुलों, निर्मित औद्योगिक संरचनाओं की मरम्मत और प्रमुख वाणिज्यिक और प्रशासनिक भवनों के सिविल निर्माण का भी काम किया है।

बीबीजे उच्चतम स्तर की विशेषज्ञता और पर्याप्त आंतरिक संसाधनों के साथ सबसे आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है, इसके स्थायी कैडर में 72 से अधिक लोग कार्यरत हैं, जबकि विभिन्न परियोजना स्थलों पर 1000 से अधिक इंजीनियर, तकनीशियन और श्रमिक कार्यरत हैं।

पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र

विजन

अभिनव परिवर्तन, डिज़ाइन तथा पुलों का निर्माण एवं अन्य इंजीनियरिंग कार्य उच्च‍ इंजीनियरिंग मानकों के साथ अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी तथा लागत कुशलता के जरिए ।

लाभजनक, उत्पादक सृजनात्मक सम्मत एवं वित्तीय रूप से सुदृढ़ बने रहना समस्त स्टेक धारकों के लिए परवाह एवं चिंता सहित ।

मिशन

विश्वस्तरीय प्रमुख इंजीनियरिंग परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाला प्रतिष्ठान बने रहना । देश के भीतर एवं बाहर इंजीनियरिंग चमत्कारों एवं उल्लेखनीय पुलों का निर्माण अभिनव, उद्यमशील बनना, निरंतर मूल्य सृजन एवं वैश्विक मानदंड हासिल करना ।

संपूर्ण ग्राहक संतुष्टि के प्रति कृतसंकल्प तथा अभिनव खोज एवं कुशलता उन्नयन के जरिए संस्था एवं कर्मचारियों की निरंतर क्षमता वृद्धि ।