कोलकाता मेट्रो या कलकत्ता मेट्रो एक मेट्रो सिस्टम है जो कोलकाता शहर एवं दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना जिलों को भारत के एक राज्य , पश्चिम बंगाल में सेवाएं प्रदान कर रही है । यह भारत की पहली भूमिगत मेट्रो रेलवे प्रणाली है । नेटवर्क में शामिल है - एक प्रचालन संबंधी लाइन (लाइन-1) तथा योजना के विभिन्न स्तरों पर चार और लाइनों के साथ एक निर्माणाधीन (लाइन-2) लाइन है । यह भारत में इस तरह की पहली प्रणाली है, जिसे वर्ष 1984 में वाणिज्यिक सेवाओं के लिए खोली गयी । भारतीय रेल प्रणाली का यह 17 वॉं मण्डषल है ।
भारत में इतिहास रचने के 27 वर्षों बाद और बेहद अपनी खुशियों के शहर - कोलकाता मेट्रो जल्दीबाजी करने वाले यात्रियों को कभी - कभी निराश करती है जिसे इन्होंोने मान लिया है । परंतु कोलकाता की जीवन रेखा कैसे अगले 3 वर्षों में 25 किलोमीटर से बढ़कर 110 किलोमीटर हो जाएगी |
कोई बात नहीं कि कार्य की प्रगति दिल्ली मेट्रो की तुलना में कैसी भी है, चार गुना विस्तार कोलकाता के उपनगर के निवासियों के लिए जीवन व समय में हमेशा के लिए परिवर्तन लाने के लिए नियत है । इससे जुड़ी विश्वस्तरीय ईस्टम–वेस्टर मेट्रो जो आपको सॉल्टनलेक के सेक्टर v से हावड़ा तक सिर्फ 30 मिनट में ले जाएगी और कोलकाता सार्वजनिक परिवहन की दिशा में एक नए युग में प्रवेश करता दिखाई पड़ेगा ।
देश की पहली, दमदम–कवि सुभाष मेट्रो रोजाना 6 लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है । आप यातायात की दुर्व्यवस्था से दूर भूगर्भ में सवारी 55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कर सकते हैं और उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर के उपनगरों तक मात्र 49 मिनट में पहुंच सकते हैं । एक धुरी से मेट्रो एक नेटवर्क बनाने के लिए अग्रसर है ।